Friday, September 5, 2008

शिक्षक दिवस पर .....एक कार्टून देखें


9 comments:

Anonymous said...

सही कह रहा है चित्र
हिन्‍दी मीडिया में भी
पढ़ लो मास्‍टर के
सुख दुख।

- अविनाश वाचस्‍पति

संजय बेंगाणी said...

बेचारे मास्टर...

Unknown said...

और अपना विषय भूल गए हैं. स्कूल के समय में जनगणना और स्कूल के बाद टूशन लेने आए छात्रों की गणना, बस यही काम रह गया है.

कुश said...

bahut sahi..

राजीव रंजन प्रसाद said...

सही कह रहे हैं अभिषेक जी, बेचारे मास्टर आज कहीं यही न गिन रहे हों कि कितने स्कूलों में शिक्षक दिवस मनाये गये। :)

***राजीव रंजन प्रसाद

Anonymous said...

आज शिक्षक दिवस के दिन सभी नीति निर्धारकों को भी चिंतन करना चाहिए कि क्या अपेक्षित बदलाव हो पा रहा है । समाज के सामने यह स्पष्ट किया जन चाहिए कि सारी समस्यायों कि जड़ केवल शिक्षा नीतियां और अध्यापक ही नहीं है । विश्लेषण का विषय यह होना चाहिए कि जिनके कारण शैक्षिक नीतियां अपना समय के अनुरूप कलेवर और चोला नहीं बदल पाती है ।

सरकार भी शिक्षकों से इतने तरह के और लंबी-लंबी अवधि तक शिक्षकेतर कार्य लेती है कि पूरा सिलेबस एक सत्र में तय करा पाना उनके लिये uphill task हो जाता है। अत: इस पर शिक्षक, समाज और सरकार में बैठे बुद्धिजिवियों को भी ध्यान देना होगा।

जो मैं इतने दिन से लिख रहा था वह आपने एक चित्र से कर दिया / वाह भाई वाह !

ताऊ रामपुरिया said...

जिस इंसान को सबसे ज्यादा इज्जत दी जानी
चाहिए थी उसको उल्टे बेगार थमा दी गई !
कार्टून बहुत बढिया ! धन्यवाद !

art said...

बहुत बढिया

Udan Tashtari said...

haa haa!! :) Yahi kaam to kar rahe hain massaab!!