Friday, May 15, 2009

आख़िर इतनी खुन्नस क्यों है तुझे......


4 comments:

जयंत - समर शेष said...

:))

अविनाश वाचस्पति said...

गुस्‍सा नहीं है यार

ये तो बढ़ते उष्‍माचाप का प्रताप है

रक्‍तचाप की तरह

संजय बेंगाणी said...

पर्यावरण की वाट लगा दी, उसी की खुन्नस है.

दिनेशराय द्विवेदी said...

परदा हटा दो, फिर देखो गुस्सा!