आपके द्वारा पोस्ट फोटो को मेरी यह कविता समर्पित है? इस बहाने ही मिलना हुआ आपसे अच्छा लगा.
सावन
हिना लगे हाथों से, मेरी उम्मीदों सी बरसती, कुछ बूंदों को। तुमने जब, हथेली में रख कर, उछाला था मेरी तरफ। तब लगा था, कोई बता दे सावन, इसे ही कहते है? जब कोई हिना का रंग, बरसती बूंदों में घोल कर, मुझको सराबोर कर रहा था?
5 comments:
आदरणीय अभिषेक जी,
यथायोग्य अभिवादन् ।
आपके द्वारा पोस्ट फोटो को मेरी यह कविता समर्पित है?
इस बहाने ही मिलना हुआ आपसे अच्छा लगा.
सावन
हिना लगे हाथों से,
मेरी उम्मीदों सी बरसती,
कुछ बूंदों को।
तुमने जब,
हथेली में रख कर,
उछाला था मेरी तरफ।
तब लगा था,
कोई बता दे सावन,
इसे ही कहते है?
जब कोई हिना का रंग,
बरसती बूंदों में घोल कर,
मुझको सराबोर कर रहा था?
रविकुमार बाबुल
ग्वालियर
http://babulgwalior.blogspot.com/
'वो आये वज़्म में,
इतना तो 'मीर' ने देखा,
फिर उसके बाद चिरागों में रोशनी ना रही. ...
आभार बाबुल जी....
badiya......
http://www.youtube.com/watch?v=0vJD6TzsmA0&feature=related
unkee shakhsiyat ujagar hotee hai.
Annajee ka kai saal pahile ka bhashan hai .
Sahjata sarlata aur nishtha bahut prabhavit kartee hai.
भैयादूज पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
shrf whajee wha 1
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