अभिषेकभाई, आज आपके कार्टून देखे। और ऐसा भी नहीं कि आज ही देखे। आपके कार्टनों को नियमित तो नहीं लेकिन कुछ कुछ अंतरालों से देखता रहा हूं। मुझे कहने दीजिए आपने इस शब्द-रेखा की मारू दुनिया में अपनी एक पुख्ता पहचान बनाई है। आपके कार्टून में जहां आपकी रेखाएं बोलती हैं वहीं शब्द भी बारीक काम कर जाते हैं। अधिकांश कार्टूनों में आप शब्द और रेखा का एक बेहतर संतुलन साध लेते हैं, यह आपकी अनवरत रियाज का ही कमाल है। शुभकामनाएं।
4 comments:
ha ha...bechare ko pata hota to oopar hi nahi chadhta. haay re manhgaai....
waah... nabz par haath rakh diya saahab. is shaandar kartoon ke liye badhai.
मँहगाई पर करारी चोट की है आपने, कार्टून में व्यंग्य स्थापित हुआ है।
***राजीव रंजन प्रसाद
अभिषेकभाई, आज आपके कार्टून देखे। और ऐसा भी नहीं कि आज ही देखे। आपके कार्टनों को नियमित तो नहीं लेकिन कुछ कुछ अंतरालों से देखता रहा हूं। मुझे कहने दीजिए आपने इस शब्द-रेखा की मारू दुनिया में अपनी एक पुख्ता पहचान बनाई है। आपके कार्टून में जहां आपकी रेखाएं बोलती हैं वहीं शब्द भी बारीक काम कर जाते हैं। अधिकांश कार्टूनों में आप शब्द और रेखा का एक बेहतर संतुलन साध लेते हैं, यह आपकी अनवरत रियाज का ही कमाल है।
शुभकामनाएं।
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