Saturday, April 25, 2009

वसूली एजेंट चाहिए....


9 comments:

अविनाश वाचस्पति said...

सुपारी का भुगतान

रायल्‍टी में से ही

किया जाएगा।

मनोज गुप्ता said...

भाई, आर बी आई की सख्ती के बाद से कई वसूली एजेंट खाली है. मिलेगे, पर सुपारी एडवांस में मागते है.
प्रोफाइल पढ़ के अच्चा लगा. पता चला कि आप भिंडी हैं. काय के हमऊं उतई के है भिंड के पास लहार के, लगे रहो भैया खूब नाम रोशन करो है.

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप ने चुनाव के मौसम में लेखक का ध्यान रखा, धन्यवाद!

अविनाश वाचस्पति said...

आप एक एक
करके पोस्‍टते

रहिए हम .....

Anil Kumar said...

एक समाचारपत्र के संपादक ने मुझसे कई साल पहले चार लेख लिखवाये थे। उनका पारिश्रमिक आज तक नहीं दिया। उनका "सोशल टाइम्स" बंद ही हो गया। आपके कार्टून का तरीका कभी वक्त मिला तो आजमाऊंगा! :)

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

संपर्क कहाँ करे .

अविनाश वाचस्पति said...

धीरू सिंह जी आप तो घणै उतावले हो रह्ये हो

आप तो प्रकाशकों से ही संपर्क कर लें कि
आपकी सुपारी मिल रही है, लूं कि न लूं

न लेने का पारिश्रमिक हाथों हाथ ले लेना

मत करना ना, बाद के लिए भी ना करना हां।

Unknown said...

बहुत सुंदर. 'चौथी दुनिया' में मेरा काफी पैसा बाकी है, क्‍या वो मिल सकेगा, इस बार जब से उसका पुनर्प्रकाशन हुआ है, सोचता हूं कि इस बार भी क्‍या लोग समाजवाद के नाम पर फोकट में ही लिखेंगे? वैसे भास्‍कर तो लेखकों से एक साल से फोकट में 'साहित्‍य विमर्श' करवा ही रहा है.
रही बात प्रकाशक की वो तो लेखक के सामने इस कदर दयनीयता दिखाता है कि लेखक को लगता है रायल्‍टी मांगने के बजाय उसकी मदद करनी चाहिए.

ABHIJEET tiwari said...
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